केन्द्र सरकार ने राफेल सौदे के दस्तावेज लीक होने के बारे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि वह लीक दस्तावेजों को पुनर्विचार याचिका से हटा दे, क्योंकि सरकार इन दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा करती है
कोर्ट में इसके जवाब में पूछा गया कि आप किस तरह के विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं? जबकि वे उन्हें पहले ही कोर्ट में पेश कर चुके हैं। यह दस्तावेज पहले से ही सार्वजनिक हो चुके हैं। जिसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्होंने इसे चुराकर कोर्ट में पेश किया है। राज्य के दस्तावेजों को बिना स्पष्ट अनुमति के प्रकाशित नहीं किया जा सकता ।सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 14 दिसंबर को राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद सौदे की जांच एसआइटी से कराए जाने की मांग याचिकाएं खारिज कर दी थीं। याचिकाकर्ताओं ने उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वालों में पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण भी शामिल हैं।

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ता संवेदनशील सूचना को लीक करने के दोषी हैं जो कि समझौते का हिस्सा था। जिन लोगों ने संवेदनशील दस्तावेजों की गैरकानूनी फोटोकापी कराई है उन्होंने आइपीसी के तहत चोरी सहित विभिन्न दंडनीय अपराध किये हैं। सरकार ने कहा था कि इस मामले की 28 फरवरी से आंतरिक जांच चल रही है। केन्द्र सरकार यह पता लगा रही है कि लीकेज कहां से हुआ ताकि भविष्य में दोबारा ऐसा न हो और सरकार में निर्णय लेने के प्रक्रिया गोपनीय रहे।
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